Savings Account Interest Calculator
सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट कैलकुलेटर क्या है?
सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट कैलकुलेटर एक बहुत ही फायदेमंद ऑनलाइन टूल है, जिससे सेविंग अकाउंट से कमाए जाने वाले इंटरेस्ट का अंदाजा लगाया जाता है। आपकी सेविंग अकाउंट की ग्रोथ इससे पता चलती है, आप अपने फाइनेंशियल प्लैनिंग में सही फैसला लेने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट कैलकुलेटर में आपको बस टाइम पीरियड, टोटल अमाउंट और इंटरेस्ट रेट इंटर करना होता है, उसके बाद ये कैलकुलेटर अनुमानित इंटरेस्ट कमाया हुआ और टोटल अमाउंट बताता है। HindiSaving.com सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट कैलकुलेटर का इस्तेमाल करके आप अपनी फाइनेंशियल प्लैनिंग में एक सहीं फैसला ले सकते हैं।
HindiSavings सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट कैलकुलेटर कैसे इस्तेमाल करें?
● सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट कैलकुलेटर में सबसे पहले आपको प्रिंसिपल अमाउंट इंटर करना है।
● प्रिंसिपल अमाउंट यानी वह अमाउंट जो आप पहले डिपाजिट करना चाहते हैं अपने सेविंग अकाउंट मे, प्रिंसिपल अमाउंट इंटर करने के लिए स्लाइडर का इस्तेमाल कर सकते हैं या डायरेक्ट अमाउंट बॉक्स में टाइप कर सकते हैं।
● अब आपको एनुअल इंटरेस्ट रेट इंटर करना होगा, यहां पर आपके बैंक के द्वारा ऑफर किया गया इंटरेस्ट रेट डालने की जरूरत है, इंटरेस्ट रेट इंटर करने के लिए स्लाइडर का इस्तेमाल करसकते हैं।
● अब आखरी चीज़ इंटर करनी है और वो है टाइम, आपके सेविंग अकाउंट की शुरुआत से आप कितने सालों तक सेविंग अकाउंट में पैसे रखना चाहते हैं उस टाइम को इंटर करें, अगर आप 5 सालों के लिए रखना चाहते हैं तो 5 साल इंटर करें, इसके अलावा जरूरत है तो आप महीनों को भी ऐड कर सकते हैं।
● यह तीनों चीज इंटर करने के बाद ‘कैलकुलेट’ के बटन पर क्लिक करें, अब हमारा कैलकुलेटर आपके द्वारा डाली गई जानकारी को कैलकुलेट करके आप कितना इंटरेस्ट कमा सकते हैं ये बताएगा और टोटल अमाउंट भी बताया जिसमें ‘प्रिंसिपल अमाउंट और इंटरेस्ट’ शामिल होगा।
सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट कैलकुलेटर कैसे काम करता है?
सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट कैलकुलेटर एक सिंपल एल्गोरिथ्म पर काम करता है, जो इन चीजों को ध्यान में रखता है:
अकाउंट बैलेंस: सेविंग अकाउंट में करंट बैंक बैलेंस कितना है, यह इंटरेस्ट कमाने की गणना के लिए शुरुआती बिंदु के रूप में काम करता है।
इंटरेस्ट रेट: बैंक द्वारा ऑफर किया गया इंटरेस्ट रेट, जो निर्धारित करता है कि समय के साथ शेष राशि कितनी तेजी से बढ़ेगी। जियादा इंटरेस्ट रेट्स अधिक बचत की ओर ले जाता हैं।
टाइम: टाइम का मतलब है कि पैसा अकाउंट में कितने समय तक रहेगा। यह टोटल कमाया हुआ इंटरेस्ट को प्रभावित करता है, लंबी अवधि के साथ ज्यादा सेविंग्स होती है।
इन तीनों चीजों को सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट कैलकुलेटर में डालकर, व्यक्ति संभावित कमाई का निर्धारण कर सकते हैं।
सिंपल इंटरेस्ट क्या है?
सिंपल इंटरेस्ट रेट यानी वह रेट जिस पर आप पैसे उधार लेते हैं, लोन लेते हैं। यह किसी स्पेसिफिक वक़्त में प्रिंसिपल अमाउंट पर कमाए गए या भुगतान किए गए इंटरेस्ट की गणना करता है।
जब भी कोई बैंक से पैसा उधार यानी लोन लेता है जिसे प्रिंसिपल अमाउंट कहते हैं, तो हमें यह पैसा वापस लौटना होता है पहले से तय किए गए समय के अंदर, इसके साथ कुछ एक्स्ट्रा पैसे देने होते हैं जिसे इंटरेस्ट कहते हैं। बहुत सारे पर्सनल लोन के लिए सिंपल इंटरेस्ट इस्तेमाल किया जाता है।
हम जो बैंक को इंटरेस्ट पे करेंगे, वह सिर्फ लोन अमाउंट पर ही इंटरेस्ट कैलकुलेट किया जाएगा, ना कि हमारे इंटरेस्ट और लोन अमाउंट दोनों को मिलाकर इंटरेस्ट नहीं पे किया जाता है, इसी को सिंपल इंटरेस्टकहते हैं।
कंपाउंड इंटरेस्ट क्या है?
कंपाउंड इंटरेस्ट यानी वो इंटरेस्ट जो ज्यादातर बैंक अपने डिपॉजिट अकाउंट्स के लिए और क्रेडिट कार्ड के लिए इस्तेमाल करते हैं। प्रिंसिपल अमाउंट और स्पेसिफिक टाइम में कमाया हुआ इंटरेस्ट पर डिपेंड करता है कंपाउंड इंटरेस्ट।
कंपाउंड इंटरेस्ट यानी वह इंटरेस्ट जो प्रिंसिपल अमाउंट और कमाए हुए इंटरेस्ट दोनों को मिलाकर कैलकुलेट करने पर जो इंटरेस्ट निकलता है उसी को कंपाउंड इंटरेस्ट कहते हैं।
सिंपल इंटरेस्ट में सिर्फ प्रिंसिपल अमाउंट पर ही इंटरेस्ट कैलकुलेट किया जाता है, लेकिन कंपाउंड इंटरेस्ट में प्रिंसिपल अमाउंट और इस पर कमाया हुआ इंट्रेस्ट भी ऐड होगा, और फिर इन दोनों पर इंटरेस्ट कैलकुलेट होते रहता है। सिंपल और कंपाउंड इंटरेस्ट में यही बड़ा अंतर है।
क्या सेविंग अकाउंट में कंपाउंड इंटरेस्ट दिया जाता है?
हाँ, भारत में बहुत बैंक्स सेविंग अकाउंट्स के लिए कंपाउंड इंटरेस्ट देते हैं। कंपाउंड इंटरेस्ट यानी वह इंटरेस्ट जो प्रिंसिपल अमाउंट और आपका कमाया हुआ इंटरेस्ट अमाउंट दोनों को मिलाकर नया अमाउंट बनता है, इस नए अमाउंट पर आपको इंटरेस्ट मिलता है, इसी तरीके से अगली बार भी कंपाउंड इंटरेस्ट मिलता है।
इस तरह से आपकी सेविंग्स ज्यादा तेजी से विकसित होती है सिंपल इंटरेस्ट के मुकाबला। आज के समय में भारत के बहुत सारे सेविंग अकाउंट में हर दिन या क्वार्टरली (quaterly) बेसिस पर इंटरेस्ट अकाउंट कैलकुलेट किया जाता है और साल में दो बार या चार बार इंटरेस्ट क्रेडिट किया जाता है।
सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट कैलकुलेटर इस्तेमाल करने के फायदे?
सेविंग अकाउंट कैलकुलेटर इस्तेमाल करने पर आप अपने फाइनेंशियल प्लैनिंग अच्छी तरीके से कर सकते हैं।
हमारे सेविंग अकाउंट कैलकुलेटर पर आप अलग-अलग डाटा/इनपुट इंटर करके रिजल्ट देख सकते हैं, जिससे आपको क्लेरिटी मिलेगी और इनफॉर्म्ड फैसला ले सकेंगे।
ये कैलकुलेटर इस्तेमाल करने पर आपका बहुत समय बचता है, जिस कैलकुलेशन को करने में समय लगता है उस कैलकुलेशन को आप इस कैलकुलेटर से एक सेकंड में कर पाएंगे।
हमारे कैलकुलेटर को आप किसी भी डिवाइस से एक्सेस कर सकते हैं, बस आपके पास इंटरनेट होना चाहिए, हमारे इस कैलकुलेटर को बुकमार्क करले।
हमारा यह कैलकुलेटर पूरी एक्यूरेसी के साथ आपकी फ्री में मदद करता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q. सेविंग अकाउंट पर इंटरेस्ट कैसे कैलकुलेट करते हैं?
सेविंग अकाउंट का इंटरेस्ट कैलकुलेट करने के लिए आपको प्रिंसिपल अमाउंट, इंटरेस्ट रेट रेटऔर टाइम पर मल्टीप्लाई करना होगा इसका फार्मूला है इंटरेस्ट = P X R X T। अगर आपको फ्री में बिना टाइम व्यस्त करें कैलकुलेशन करना है हमारे सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट कैलकुलेटर का इस्तेमाल करें।
Q. मंथली सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट कैसे कैलकुलेट करें?
मंथली सेविंग अकाउंट इंटरेस्ट कैलकुलेट करने के लिए इस फार्मूले का इस्तेमाल करें:
मंथली इंटरेस्ट= (अकाउंट बैलेंस x 1 महीने के सारे दिन x इंटरेस्ट रेट)/1 साल के सारे दि.Q. बैंक्स सेविंग अकाउंट्स पर इंटरेस्ट कैसे कैलकुलेट करते है?
दिन के आखिर मे कितना बैलेंस होता है, उस पर इंटरेस्ट रेट कैलकुलेट किया जाता है बैंक के द्वारा, इसी तरीके से हर दिन का इंटरेस्ट रेट एक साथ हर महीने या क्वार्टरली (quarterly) सेविंग अकाउंट में क्रेडिट किया जाता है, ये आपके बैंक के पॉलिसी पर डिपेंड है
Q. इफेक्टिव एनुअल रेट क्या है?
इफेक्टिव एनुअल रेट (EAR) एक निश्चित समय में इंटरेस्ट को कंपाउंडिंग (compounding) करके कमाया हुआ इंटरेस्ट रेट है। यह अक्सर नॉमिनल रेट से अधिक होता है और अलग-अलग कंपाउंडिंग समय हर महीना और हर साल के साथ अलग-अलग फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स का मूल्यांकन करता है। जब कंपाउंडिंग पीरियड्स की फ्रीक्वेंसी बढ़ जाती है, तो वार्षिक रेट समय के साथ बढ़ जाता है।
आपका स्वागत है! मैं गौस शाह (Gouse Shah) हूं, और मैं पिछले 5 वर्षों से बैंकिंग क्षेत्र पर लेख लिख रहा हूं। मैंने कई अन्य वेबसाइट्स के लिए भी आर्टिकल लिखे हैं और हमेशा अपने आर्टिकल्स के लिए डीप रिसर्च करता हूं। मैं तभी आर्टिकल प्रकाशित करता हूं जब मैं पूरी तरह से संतुष्ट होता हूं कि वह जानकारी सही और उपयोगी है। मेरे लेख हर महीने हजारों लोग पढ़ते हैं। अगर आपका बैंकिंग से जुड़ा कोई सवाल है, तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं, और मैं हमेशा जवाब देने की कोशिश करूंगा।
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